हिंदी व्याकरण _- भाषा एवं लिपि
हिंदी व्याकरण |
भाषा - मानवो के बीच सम्प्रेषण का माध्यम भाषा कहलाता है। मनुष्य समाज की इकाई होता है और समाज में उसे अपने विचार ,भावना,सन्देश,सुचना आदि का आदान - प्रदान करना होता है और वह इसके लिए भाषा का प्रयोग करता है। भाषा कुछ भी हो सकती है चाहे वो संकेत भाषा हो या धवनि भाषा। भाषा के माध्यम से हीविचारो की अभिव्य्क्ति हो सकती है । और इन्ही के माध्यम से हम किसी की परम्परावो ,इतिहास, ज्ञान को जान पते है।
संसार में कई भाषाएँ बोली जाती है जैसे हिंदी ,संस्कृत ,बंगाली ,अंग्रेजी ,फ्रेंच ,इतालवी आदि। संस्कृत हमारी सभी भारतीय भाषावो को जननी है और हिंदी हमारी राजभाषा है।
भाषा के दो प्रकार होते है - (1 ) पहला मौखिक (1) दूसरा लिखित । मौखिक भाषा में आपस में बातचीत,भाषणों के माधयम से विचारो का सम्प्रेषण होता है और इसका प्रयोग सभी करे है। दूसरी है लिखित भाषा इसका प्रयोग लिपि के माध्यम लिखकर होता है ,और इसका प्रयोग केवल पढ़े लिखे लोग ही कर सकते है ,अनपढ़ नहीं।
आज हम हिंदी व्याकरण में हिंदी भाषा के विकाश को समझेंगे -
भाषा और बोली -
एक सिमित क्षेत्र में बोली जाने वाली भाषा "बोली" कहलाती है,और किसी ने कहा भी है की " कोस -कोस पर पर पानी बदले ,पांच कोस पर बानी ". इसमें साहित्य रचना नहीं होती है। जबकि बोली विस्तृत क्षेत्र में बोली जानी लगती है तो वह भाषा बन जाती है और
हिंदी ने अपने शब्द भंडार का विकाश कई बोलियों से किया जिनमे जनपदीय बोलिया,संस्कृत आदि आती है। और समय के साथ इसमें अरबी ,अंग्रेजी ,और फ़ारसी के सब्द भी जुड़ते गए। इस तरह हिंदी भाषा एक जगह स्थिर नहीं रही और यह जैस जैसे लोगो के संपर्क में आयी इसके रूप में परिवर्तन होता गया। और यही प्रक्रम नयी भाषाओ को जन्म देता है ,जैसे संस्कृत से हिंदी ,राजस्थानी ,मराठी आदि भाषावो का विकाश हुआ।
उसमे साहित्य आदि रचे जाने लगजाते है।
हिंदी का विकास
हिंदी केवल खड़ी बोली का ही रूप नहीं है इसमें कई और बोलिया भी समाहित है -
1. पूर्वी हिंदी -इसमें अवधी,बघेली और छत्तीसगडी शामिल है
2 . पश्चिमी हिंदी - इसमें खड़ी बोली ,ब्रज , बगरू,बुंदेली और कन्नौजी शामिल है
3 . बिहारी - इसमें मगही ,मैथिली , और भोजपुरी आदि बोलिया
4 राजस्थानी - इसमें मारवाड़ी ,मेवाती ,हाड़ोती आदि बोलिया आती है
इस प्रकार हिंदी कई भाषावो का मिश्रण है।
हिंदी भाषा और व्याकरण
हिंदी व्याकरण , हिंदी भाषा को सही ढंग से लिखने ,बोलने सम्बन्धी नियमो की जानकारी देने वाला शास्त्र हिंदी व्याकरण कहलाता है। हिंदी की ध्वनियों ,वर्ण ,लिपि,शब्द,वाक्य आदि का विवरण इसमें होता है। हिंदी व्याकरण को तीन वर्गों में विभजित किया है
(1) वर्ण विचार (2) शब्द विचार (3) वाक्य विचार।
हिंदी भाषा की लिपि देवनगरी है जिसमे 11 स्वर ,35 वयंजन होते है जिनमे - क्ष,त्र,ज्ञ,श्र सयुक्त वयंजन है।
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