हिंदी व्याकरण - वर्ण विचार
आज हम वर्ण विचार के विषय में पढ़ेंगे –
भाषा की वह छोटी से छोटी इकाई जिसके टुकड़े नहीं किये जा सकते हो ,उसे वर्ण कहते है। जैसे -
काला - काला के अगर टुकड़े करे तो का + ला , और ,का व ला के टुकड़े करे तो ,क+ा ,
ल+ा। अब क और ल के टुकड़े नहीं किये जा सकते है इसी को “ वर्ण " कहते है। अतः यह
ध्वनिया वर्ण कहलाती है। इन्हे वयंजन कहते है। व्यंजन स्वर रहित होते है।
इसी प्रकार वर्णो के मेल से शब्द और शब्दों के मेल से वाक्य और वाक्यों के मेल से भाषाबनती है। अतः वर्ण ही भाषा के मूल आधार है ।
qहिंदी में
वर्णो की
संख्या 44 होती है।
हिंदी के वर्णो को दो भागो में बाटा गया है -
q स्वर
q व्यंजन
स्वर -
जो
वर्ण
बिना
किसी
वर्ण
की
सहायता
के
बोले
जाते
है
उन्हें
स्वर
कहते
है। ये
11 होते
है
-
अ ,आ,इ
,ई ,उ , ऊ ,ऋ ,ए ,ऐ ,ओ ,औ
q स्वरों के
दो
भेद
होते है
-
हस्व स्वर - जिन
स्वरों को बोलने में कम समय लगता है ,उन्हें हस्व स्वर कहते है। ये
चार है - अ ,आ,इ ,ऋ
दीर्घ स्वर - जिन
स्वरों को बोलने में हस्व स्वरों से दुगना समय लगता है उन्हें दीर्घ स्वर कहते है.
ये
सात है - आ, ,ई ,ए ,ऐ ,ओ ,औ ,ऊ
0 Comments