चंद्रयान - 2 क्या है ?
चंद्रयान -2 |
भारत अपनी साख सभी जगह बना चूका है चाहे वो जंग का मैदान हो या टेक्नोलॉजी सब में भारत लगातार विकाश कर रहा है और इसे वो इसी तरह लगातार करता रहेगा तो कुछ ही सालो में हम विकसित देशो में गिने जायेंगे।
इनसब सब क्षेत्रो के आलावा एक क्षेत्र और है जिसमे भारत लगातार भारत सभी बड़े देशो से बाजी मार रहा है और वो है - अंतरिक्ष। इस क्षेत्र में भारत ने 1975 मे कदम रखा जब 360 किलोग्राम वजनी आर्यभट्ट को सोवियत संघ के इंटर कॉसमॉस रॉकेट की मदद से अंतरिक्ष में भेजा। तब से लेकर आज तक भारत लगातार स्पेस में उचाईया छू रहा है।
अमेरिका लगातार स्पेस प्रोग्राम किये जा रहा था और जब उसने अपोलो -11 से पूरा करने में पूरी जान झोख दी। चंद्रमा पर पहले इंसान, नील आर्मस्ट्रांग और ऐडविन "बज़" ऐल्ड्रिन. जुनियर को 10 जुलाई 1969 कोभेजा तब संयुक्त राज्य अमेरिका का यह मिशन मानव इतिहास व अंतरिक्ष अनुसंधान के इतिहास में एक बडी उपलब्धी हाशिल कर ली। तब से ही भारत भी इस मिशन को करने की सोच रहा था। और उसने अपने इस मिशन को
⇒ चंद्रयान क्या है -
चंद्रयान , चन्द्रमा पर जाने वाले यान को चंद्रयान कहा जाता है। जैसे की मंगल पपर जाने वाले यान को मंगलयान कहा जाता है। चंद्रयान में कई सरे उपकरण लगे होते है जिससे चन्द्रमा पर उसकी स्टडी के काम आते है। इसमें एक रोवर , लेंडर और ऑर्बिटर शामिल किये जाते है।
⇒हम चाँद पर क्यों जा है -
चंद्रमा पृथ्वी का नज़दीकी उपग्रह है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और
इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं। यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी आज़माने का परीक्षण केन्द्र भी होगा। चंद्रयान 2, खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ बढ़ाने, प्रौद्योगिकी की प्रगति को बढ़ावा देने, वैश्विक तालमेल को आगे बढ़ाने और खोजकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ी को प्रेरित करने में भी सहायक होगा।
चंद्रमा पृथ्वी का नज़दीकी उपग्रह है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और
इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं। यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी आज़माने का परीक्षण केन्द्र भी होगा। चंद्रयान 2, खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ बढ़ाने, प्रौद्योगिकी की प्रगति को बढ़ावा देने, वैश्विक तालमेल को आगे बढ़ाने और खोजकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ी को प्रेरित करने में भी सहायक होगा।
⇒चन्द्रमा पर भारत - पहली बार
भारत स्पेस में लगातार अपने पर पसार रहा था और जब अमेरिका ने जब चंद्र मिशन पूरा किया तब भारत के भी मन में अंतरिक्ष के प्रति लगन विकसित हुई और इसी लगन के कारन हम 1975 में स्पेस अपना एक उपग्रह लॉन्च कर पाए " आर्य भट्ट " और यह मिशन सक्सेस्फुल भी रहा और इसे से भारत कोऔर ज्यादा समझ और ज्ञान को विकसित किया और चन्द्रमा पर जाने की सोची और और अपने सपने को साकार करने की और कदम और यह सपना भारत का 2008 में पूरा हुआ जब भारत ने " चंद्रयान -1 " को चन्द्रमा पर सफलता पूर्वक भेजा , जिसके कारण भारत का डंका स्पेस के क्षेत्र में भी बजने लगा। और इसी यान चन्द्रमा पर सदी का बड़ी खोज की कि - चन्द्रमा पर पानी है और वह पानी चन्द्रमा के दक्षिणी हिस्स्से पर है। इस तरह से भारत का चंद्रयान -1 अपनी उपलब्धियो में सब देशो के यानो से आगे है
⇒हम चाँद पर क्यों जा है -
चंद्रमा पृथ्वी का नज़दीकी उपग्रह है जिसके माध्यम से अंतरिक्ष में खोज के प्रयास किए जा सकते हैं और इससे संबंध आंकड़े भी एकत्र किए जा सकते हैं। यह गहन अंतरिक्ष मिशन के लिए जरूरी टेक्नोलॉजी आज़माने का परीक्षण केन्द्र भी होगा। चंद्रयान 2, खोज के एक नए युग को बढ़ावा देने, अंतरिक्ष के प्रति हमारी समझ बढ़ाने, प्रौद्योगिकी की प्रगति को बढ़ावा देने, वैश्विक तालमेल को आगे बढ़ाने और खोजकर्ताओं तथा वैज्ञानिकों की भावी पीढ़ी को प्रेरित करने में भी सहायक होगा।
⇒चन्द्रमा पर भारत - दूसरी बार
⇒चंद्रयान -2 की खूबिया -
➢ * चंद्रयान -2 की खूबिया निम्न है -
- ➫ यह चंद्रयान -1 के बाद होने वाला मिशन है।
- ➫ इसको 15 जुलाई को रिलीज़ होना था पर अब इसकी लॉन्चिंग डेट 22 जुलाई है। .
- ➫ MK III लॉन्च व्हीकल के अंदर लगाया जाएगा. रोवर को लैंडर के अंदर रखा जाएगा
- ➫. रोवर को लैंडर के अंदर रखा जाएगा. लॉन्च के बाद पृथ्वी की कक्षा से निकलकर यह रॉकेट चांद की कक्षा में पहुंचेगा. इसके बाद धीरे-धीरे लैंडर, ऑर्बिटर से अलग हो जाएगा. इसके बाद यह चांद के दक्षिणी ध्रुव के आस-पास एक पूर्वनिर्धारित जगह पर उतरेगा. बाद में रोवर वैज्ञानिक परीक्षणों के लिए चंद्रमा की सतह पर निकल जाएगा.
- ➫ ने 2 मई को बताया कि जियोसिक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क III (GSLVMKIII) इस चंद्र मिशन के तीन मुख्य हिस्से लेकर जाएगा. ये होंगे- ऑर्बिटर, लैंडर (जिसका नाम विक्रम है) और रोवर (जिसका नाम प्रज्ञाम है).
- ➫चंद्रयान-2 विक्रम लैंडर और प्रज्ञान रोवर का उपयोग करेगा जो दो गड्ढों- मंज़िनस सी और सिमपेलियस एन के बीच वाले मैदान में लगभग 70° दक्षिणी अक्षांश पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का प्रयास करेगा।
- ➫इसरो चाँद पर सॉफ्ट लेंडिंग करने का प्रयास करेगा। ( सॉफ्ट लेंडिंग - इसमें लेंडिंग करते वक़्त यान को कोई हानि न हो उसे सॉफ्ट लेंडिंग कहते है अब तक केवल ऐसा 2 देश कर पाए है ,अमेरिका और चीन और सॉफ्ट लेंडिंग होने पर भारत ऐसा करने वाला तीसरा देश बन जायेगा )
- ➫पहला अंतरिक्ष मिशन जो चंद्रमा के दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र पर सफलतापूर्वक लैंडिंग का संचालन करेगा
- ➫पहला भारतीय अभियान, जो स्वदेशी तकनीक से चंद्रमा की सतह पर उतरा जाएगा
- ➫पहला भारतीय अभियान जो देश में विकसित प्रौद्योगिकी के साथ चाँद की सतह के बारे में जानकारियां जुटाएगा
- ➫चंद्रमा की सतह पर रॉकेट उतारने वाला चौथा देश
दोस्तों चंद्रयान -2 की कई सारी खूबिया है इसको एक आर्टिकल में गिनना मुश्किल है। अतः आज का मेरा यह आर्टिकल यही तक था। अगर आपको ये आर्टिकल अच्छा लगा तो मुझे कमेंट करके ज़रूर बताये। और अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप मुझसे पूछ सकते है मै आपके प्रश्नो उत्तर देने की हर संभव कोशिश करूँगा।
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