ARTICLE 370 क्या है और इसका क्या इतिहास है ?
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जम्मू & कश्मीर ( अब सिर्फ भारत का )
जय हिन्द
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आजादी के 73वर्ष के बाद जम्मू और कश्मीर से आर्टिकल 370 को हटा लिया गया और यह एक ऐतिहासिक कदम है भारत की आजादी के इतिहास में और इसको एक नए अध्याय के रूप में देखा जा रहा है , 5 अगस्त को अमित शाह जी ने जम्मू & कश्मीर से इसको रद्द करने की घोषणा कर दी है और तब से ही देश में खुशी का माहौल है चारो तरफ देश में मिठाईया और पठाके चल रहे है।
इन सब को देख कर आपके मन में सवाल आता होगा की आर्टिकल 370 में ऐसा क्या है की इसको कश्मीर से हटने पर सभी इतने खुश है;पर आपको चिंता करने की कोई आवश्यकता नहीं है आज का यह आर्टिकल इसी पर है की आर्टिकल 370 क्या है और इसको लेकर जनता इतनी खुश क्यों है ?
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ARTICAL 370 क्या है -
आर्टिकल 370 हमारे भारतीय संविधान के 21 वे भाग में वर्णित एक प्रावधान है जीसके द्वारा किसी राज्य; को और राज्यों से ज्यादा स्पेशल दर्जा दिया जाता है यानि - जिस राज्य पर यह लागु होता है वो राज्य अन्य राज्यों से ज्यादा स्पेशल और पावरफुल होता है।
उस पर केंद्र सीधा नियंत्रण नहीं होता है ,हम जानते है की हमारे देश में जो भी फैसले और प्रावधान लागु होते है वो सीधे केंद्र से लागु होते और उनमे कोई भी राज्य हस्तकक्षेप नहीं कर सकता है ,पर आर्टिकल 370 लागु होने वाले राज्य को यह अधिकार है वो रक्षा और वित्त के मामलो के आलावा किसी भी और कानून को मानने से इंकार कर सकता है और इसे वो शक्ति संविधान द्वारा दी गयी है और संविधान सर्वोपरि है।
आसान शब्दों में की आर्टिकल 370 क्या है & क्या इसकी खासियतें है ?-
- धारा 370 के प्रावधानों के अनुसार, संसद को जम्मू-कश्मीर के बारे में रक्षा, विदेश मामले और संचार के विषय में कानून बनाने का अधिकार है लेकिन किसी अन्य विषय से सम्बन्धित क़ानून को लागू करवाने के लिये केन्द्र को राज्य सरकार का अनुमोदन चाहिये।
- इसी विशेष दर्ज़े के कारण जम्मू-कश्मीर राज्य पर संविधान की धारा 356 लागू नहीं होती।
- इस कारण राष्ट्रपति के पास राज्य के संविधान को बर्ख़ास्त करने का अधिकार नहीं है।
- 1976 का शहरी भूमि क़ानून जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होता।
- इसके तहत भारतीय नागरिक को विशेष अधिकार प्राप्त राज्यों के अलावा भारत में कहीं भी भूमि ख़रीदने का अधिकार है। यानी भारत के दूसरे राज्यों के लोग जम्मू-कश्मीर में ज़मीन नहीं ख़रीद सकते।
- भारतीय संविधान की धारा 360 जिसके अन्तर्गत देश में वित्तीय आपातकाल लगाने का प्रावधान है, वह भी जम्मू-कश्मीर पर लागू नहीं होती।
- जम्मू और कश्मीर का भारत में विलय करना ज़्यादा बड़ी ज़रूरत थी और इस काम को अंजाम देने के लिये धारा 370 के तहत कुछ विशेष अधिकार कश्मीर की जनता को उस समय दिये गये थे। ये विशेष अधिकार निचले अनुभाग में दिये जा रहे हैं।
इस तरह जम्मू & कश्मीर को विशेष दर्जा दिया गया है इसके द्वारा और इस आर्टिकल के कारन ही भारत की कोई भी अहम और कलयाणकारी योजनाए इस राज्य में लागु नहीं हो पाती क्युकी इसमें इस आर्टिकल द्वारा विधानसभा को केंद्र की तरह अधिकार दिए है
जिससे वो ख़फ़ी पावरफुल हो गई है और इस वजह से इस आर्टिकल का कई बार विरोध भी हुआ है वहा के निवासियों के द्वारा।
आर्टिकल 370 का इतिहास -
आर्टिकल 370 को कश्मीर को 17 नवंबर 1952 को लागु किया गया और इसके दवरा इस राज्य को कई सारी शक्तिया प्रदान की जो इसे और राज्यों से अलग बनाती है जैसे केंद्र यहाँ पर रक्षा ,संचार जैसे मामलो पर ही कानून बना सकती है और किसी विषय पर नहीं।यहाँ का शासन भारतीय संविधान के नियमो के बिलकुल विरुद्ध चलता है और तो और इस आर्टिकल ने कश्मीर निवासियों को अपना एक अलग संविधान बनाने की छूट तक दे दी है।
यहाँ पर वे दोहरी नागरिकता के साथ रहते है और तिरंगे के साथ उनका एक अलग झंडा है और वे किसी भी केंद्र कानून को मानने को कटिबद्ध नहीं है, जिस कारन यह संविधान के नियमो के विरुद्ध मालूम होता है। और यहाँ तक भी सुप्रीम कोर्ट को कोई भी नियम इस राज्य पर लागु नहीं होता है।
आर्टिकल 370 को कब लागु किया गया -
आर्टिकल 370 को 17 नवम्बर 1952 को लागु किया गया था और यह इस उम्मीद के साथ किया गया था ताकि वहा के नागरिक पूरी आजाद और चैन से जी सके पर हुआ इसके विपरीत।
इसका इतिहास -
यह इतिहास सुरु होता है 15 अगस्त 1947 को जब भारत को आजादी मिली और लार्ड माउंटबेटन ने इसकी घोषणा की। 14 अगस्त को अंग्रेज भारत छोड़ कर चले गए और 14 अगस्त को ही भारत से पाकिस्तान अलग हुआ और एक राष्ट्र के टुकड़े होकर दो राष्ट्र हुए।
तभी भारत में 500 से उप्पर देसी रियासते और ठिकाने थे और उनको यह ऑप्सन दिया की आप नए बने पाकिस्तान में रहना चाहते है या भारत के साथ रहना चाहते है तो कई भारत में गए और कई पाकिस्तान में।
सारा माहौल शांति से निपट गया पर एक समस्या थी- कश्मीर। कश्मीर को दोनों राष्ट्र छोड़ना नहीं चाहते थे और पाकिस्तान उस पर अपना हक़ निर्धारित करना चाहता था पर वह भारत के लिए भी वो महत्वपूर्ण था.
वहा पर मुस्लिम जनसंख्या बहुसंक्यक थी और वह का राजा एक हिन्दू था और वो दोनों ही राष्ट्रों में नहीं मिलना चाहता था। पर पाकिस्तान ने उस पर कब्ज़ा करने के फ़िराक में कबाइलियों के भेष में कश्मीर पर हमला कर दिया और उसे हथियाना चाहा और अपने राज्य को बचाने के लिए हरी सिंह ने भारत से मदद मांगी और भारत बे उसको मदद दी पार कुछ सरतो के साथ -
- कश्मीर अब से भारत हिस्सा होगा।
- आपको कश्मीर के भारत में विलय पर हस्ताक्षर कर उसे भारत में विलय करना होगा।
कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले आर्टिकल 370 का लागु होना =
जिस समय कश्मीर भारत का अंग बना उस समय शेख अब्दुल्ला के प्रभाव के कारण भारतीय संघ में कश्मीर राज्य की स्वाययता की खाश पहचान बनाय रखने के लिए उसकी विशेष स्थिति को सरंक्षण दिया गे और आर्टिकल 370 के तहत उसे अलग संविधान और झंडा निर्धारित करने की आजादी दी गई और इस कारन जम्मू कश्मीर राज्य देश की मुख्य धारा से अलग थलग हो गया।आर्टिकल 370 की समाप्ति =
आर्टिकल 370 को 5 अगस्त 2019 को भारतीय संसद में समाप्त किया गया और जम्मू कश्मीर सामान्य भारतीय राज्य की तरह बन गया और इस पर भी उसी के समान शासन किया जायेगा जैसे और राज्यों में किया जाता है। समाप्ति के बाद कश्मीर से लद्दाक को पृथक कर दिया गे है और दोनों को केंद्र शासित का दर्जा दिया गया है।
कश्मीर में विधानसभा का प्रावधान है और लद्दाक में कोई विधान सभा नहीं होगी।
दोस्तों आपको मेरा यह आर्टिकल कैसा लगा कमेंट करके मुझे ज़रूर बताये और उम्मीद करता हु आप आर्टिकल 370 के बारे में पूरी जानकारी मिल गई होगी और आप इसको अपने सोशल मीडिया पर शेयर भी करे जिससे और भी इसका लाभ ले सके।
अगर आपके मन में कोई प्रश्न है तो आप मुझसे कमेंट के द्वारा पूछ सकते है मैं उनके जवाब देने की हर संभव कोशिश करूँगा। एक बार फिर आपका मेरा आर्टिकल पढ़ने के लिए धन्यवाद।।।।।।
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