चंद्रयान-2 से भारत को मिलेगी बड़ी सफलता ! जाने ?

चंद्रयान-2 से भारत को मिलेगी बड़ी सफलता 


भारत को अंतरिक्ष में बड़ी सफलता मिलने वाली है ? ये मै नहीं कह रहा बल्कि पूरा देश कह रहा है।  कल 22 जुलाई 2019  को भारत ने एक ऐतहासिक कदम उठाया और देखते ही देखते काउंटडाउन 2:43 PM पर  पूरा हुआ और हमारा " चंद्रयान 2 "  चन्द्रमा की सैर  पर निकल गया। और देखते ही देखते कब   हम दादी - नानी  की चंदा मामा  की कहानियो  से निकलकर कब चन्द्रमा पर ही कदम रख कर आ गए पता ही नहीं चला। .......
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भारत का मिशन - चंद्रयान -1

भारत ने अपनी सफलता की कहानी 2008  में ही लिख दी थी जब हमारे  " मिशन चाँद " की पहली  कड़ी के " चंद्रयान -1 "  को सफलतापूर्वक इसरो   ने उसको चाँद पर  भेजा और वो चाँद पर पानी  की खोज कर उसने  सदी का सबसे बड़ा काम किया और तभी अंतरिक्ष के   मामले में अंधकार में रहा भारत एकदम दुनिया में अपनी "  वैज्ञानिक ताकत - इसरो     "  के  दम  पर सबको चकित कर दिया।   और  फिर एक बार  और भारत दोबारा दुनिया के समक्ष कामियाबी की एक और मिसाल  खड़ी करेगा।


भारत का मिशन - चंद्रयान-2

 भारत ने 2008  में  "सदी की सबसे बड़ी खोज " कर दुनिया चौकाया  था और वापस वो 2019 में वही एक और कारनामा  स्पेस के करेगा। इसरो   ने वापस एक बार फिर से चाँद मिशन की कड़ी में    उसने 22  जुलाई  को 2 :43 Pm  पर  चंद्रयान-2 लॉन्च किया और वो  53 दिनों बाद वो चाँद पर लेंड करेगा। और अपना काम करेगा।

   क्या है ख़ास भारत का चंद्रयान-2  चाँद के दक्षिणी ध्रुव पर लेंड करेगा और दुनिया में ऐसा करने वाला भारत अकेला देश  बात और भारत  यान को " सॉफ्ट लेंडिंग "  कराएगा।  और और ऐसा करने वाले दुनिया में केवल  तीन देश है तो इस मामले में भी भारत दुनिया में नामित होगा। 

   ज़रूर पढ़े -   चंद्रयान -2 क्या है

 चंद्रयान -2  की खासियतें -

       चंद्रयान - 2  की कई सारी  खासियतें है जैसे की -

  •  यह पूरी तरह से स्वदेशी निर्मित है और इसमें जितने भी यंत्रो का प्रयोग किया है वो एकदम स्वदेशी है। ..
  • इसमें लगे सेंसर बेहद  सेंसिटिव है और यह यान के आँख और कान की तरह काम करेंगे। 
  • इसकी वियरिंग में यूज़  किये गए  तार  मेरठ में बनवाये  और  इनकी   खासियत है की ये 300 डिग्री सेंटीग्रेट से माइनस  60 डिग्री का तपमान   भी सेहन कर सकते है और यान के पेनल में  इस्तेमाल किये यह तार  कॉपर से बने है और इन पर  सिल्वर की परत  चढ़ी है।  जो इनकी उम्र को बढ़ती है। 
  • और इस मिशन की सबसे खाश बात यह है की इसका पूरा जिम्मा दो महिला वैज्ञानिको को  दिया गया  है। 
  •   आने वाले उपकरणों में से एक उपकरण नासा   ने फ्री में दिया हैं। 

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 चंद्रयान के उपकरण - 

अंतरिक्ष यानइस  मिशन में भारी  भरकम  " GSLV मार्क 3   राकेट " का यूज़  किया है और इसका नाम " बाहुबली " रखा है और इस राकेट   को  श्रीहरिकोटा के  सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र " से स्पेस में भेजा गया।  इसका वजन कुल मिलाकर 3250 किलो है। 


ऑर्बिटर -  इसका ऑर्बिटर चाँद को कक्षा के 100 किलोमीटर ऊपर  चक्कर लगाएगा।  और धरती और चाँद के बीच कम्युनिकेशन  इसी के माधयम  होगा , इसका वजन 1400 किलो है और इसमें उच्च रेज़लुशन वाला कैमरा लगा है जो  चाँद की hd  फोटोज कलेक्ट करेगा।  और इसे पृथ्वी पर सेंड करेगा।
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ORBITER  (प्रतीकात्मक निरूपण)


लेंडर - ऑर्बिटर से लेंडर चाँद की सतह पर सॉफ्ट लेंडिंग करेग और  ऐसा   करनेवाला  भारत  दुनिया  का तीसरा देश बन जायेगा।   चंद्रयान -2  के लेंडर का वजन 1250  किलो है  और यह लेंडर और रोवर का     सयुक्त है।

रोवर - लेंडर के लेंड करने के बाद उसमे से रोवर निकलेगा और  इसमें पहिये लगे होंगे जिनके द्वारा वो चाँद की सतह पर घूम कर उसका परीक्षण कर सके।  यह सोर ऊर्जा चलित होगा जिसमे कई सरे सेंसर लगे होंगे जो चाँद की सतह पर पानी खोजने में सहायक होंगे।  इसका वजन 30  किलो के लगभग  है हुए इसमें लगे थ्री-डी  कैमरे चाँद की  त्रिविमीय तस्वीरें ऑर्बिटर को भेजेंगे  और ऑर्बिटर धरती के  स्टेसनो  को वे तस्वीरें सेंड कर देगा।

इसके पहिये है ख़ास -  मैं आपको बता दू की प्रज्ञान रोवर में लगे पहिये भी खाश है। और इनको खाश मटेरियल से बनाया है और अपने "अशोक चक्र " और  " इसरो के लोगो " को तो देखा होगा। तो आपको बता दू की प्रज्ञान में लगे पहियों में से दो पहिये अशोक चक्र और दो पहिये " इसरो के लोगो" के साथ होंगे और इनको ऐसी तरह से बनाया गया है की ये लो ग्रेविटी और घर्षण  में भी आसानी से चल सके।  

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केवल प्रतीकात्मक निरूपण के लिए 









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 तो चंद्रयान -2  में ये उपकरण  मैन  है परन्तु इनके  साथ कई सारे  उपकरण और  भी लगे है जिनकी जानकारी आने वाले आर्टिकल में मै दूंगा।  आज के लिए बस  इतने ही सब्द है की आपका मेरा आर्टिकल पढ़ने  के लिए धन्यवाद और इसको अपने दोस्तों को ज़रूर शेयर कर दे.....

लेखक -  Deepak  Jangir




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